Sunday, 29 October 2017

त्रागड सोनी ब्राह्मण समाज का इतिहास व कुलदेवी व्याघ्रेश्वरी माता Tragad Soni History

भगवती लक्ष्मी ने श्रीमालनगर का निर्माण कराकर वहाँ श्रीमाली ब्राह्मण बसाये। उन ब्राह्मणों की पत्नियों के लिए स्वर्णाभूषण बनाने के लिए त्रागड सोनी उत्पन्न किए। उनके लिए स्वर्णाभूषण की कला ही आजीविका का साधन बनी इसलिए वे कलाद भी कहलाए –
देव्युवाच –
              एकं तु जीवनोपायं शृणुहवं तद्वदामि वः |
              कलया वर्तितव्यं हि भवद्भिः स्वर्णपद्मजैः ||
              श्रीमाले च ततो यूयं कलादा वै भविष्यथ |
              भूषणानि द्विजेन्द्राणां पत्नीभ्योरत्नवंतियत् ||
              स्वाध्यायाग्नि कलादाः त्र्यागडा स्मृताः |
              स्वर्णरत्नादि घटका रमावाक्प्रतिपालकाः ||(ब्राह्मणोत्पत्तिमार्तण्ड)
             लक्ष्मीजी ने कहा, तुम सबके लिए जीविका साधन बताती हूँ। उसे सुनो। तुम्हें स्वर्ण से संबंधित कला का रोजगार करना है इसलिए तुम्हें कलाद कहा जाएगा। तुम ब्राह्मण-पत्नियों के लिए रत्नजड़ित स्वर्णाभूषण बनाना। वेदाध्ययन अग्निहोत्र के साथ स्वर्णकला का भी काम करने से तुम त्र्यागड कहलाओगे।

जब देवी लक्ष्मी ने पृथ्वी ब्राह्मणों को दान दी; वरुण देवता ने उस समय देवी लक्ष्मी को 1008 स्वर्ण के कमलों की माला पहनाई। माला के पत्रों में स्त्री-पुरुषों के प्रतिबिंब दिखने लगे। और वह प्रतिबिंब के स्त्री-पुरुष भगवती की इच्छा से कमलों से बाहर प्रकट हो गए।उन्होंने लक्ष्मी से पूछा कि हमारा नाम और कर्म क्या है ? भगवती बोली, हे प्रतिबिम्बोत्पन्न ब्राह्मणों ! तुम नित्य सामगान किया करो, और श्रीमाल क्षेत्र में कलाद नाम वाले (जिनको त्रागड सोनी कहते हैं) होंगे; और ब्राम्हणों की स्त्रियों के आभूषण बनाना तुम्हारा काम होगा।
इस प्रकार यह प्रतिबिंब से उत्पन्न ने 8064 कलाद त्रागड ब्राह्मण हुए। उनमें से वैश्यधर्मी, बसोनी हुए, यह पठानी सूरती अहमदाबादी खम्बाती ऐसे अनेक भेद वाले हुए। यह जिन ब्राह्मणों के पास रहे उन्हीं के नाम से कलाद त्रागड ब्राह्मणों का गोत्र चला इस प्रकार यह त्रागड ब्राह्मण भी अध्ययन करते और भूषण बनाते। फिर ब्राह्मणों के धन आदि की रक्षा के लिए विष्णु ने अपनी जंघा से गूलर, दण्डधारी दो वैश्य उत्पन्न किए और उनको ब्राह्मणों की सेवा में लगाया। गोपालन व्यापार उनका कार्य हुआ और 90 हजार वैश्यों ने वहां निवास किया और उनके स्वामी ब्राह्मणों के गोत्र से उन वैश्यों के गोत्र हुए।

गोत्र व कुलदेवी व्याघ्रेश्वरी / वाघेश्वरी माता (Vyaghreshwari Mata/ Vagheshwari Mata)

त्रागड ब्राह्मणों / सोनियों के श्रीमाली ब्राह्मणों अनुरूप 18 गोत्र है ।वर्तमान में चौदह गोत्र हैं, किन्तु मूल रूप में अठारह गोत्रों का वर्णन है। ये गोत्र हैं – कौशिक, शाण्डिल्य,  मौदगल, लौडवान, हरितस, औपमन्यव, गौतम, कपिंजल, भारद्वाज, वत्सस, चान्द्रास, काश्यप, पाराशर तथा सनकस।  कुलदेवी व्याघ्रेश्वरी है –

तेषां व्यघ्रेश्वरी देवी योगक्षेमस्य कारिणी |
              तेषां गोत्रविधानं च स्वस्वेज्याध्यायसंगतम् ||
Vyaghreshwari Devi
Vyaghreshwari Devi
मूलतः व्याघ्रेश्वरी / वाघेश्वरी माता कालिका माता के मंदिर के स्थान पर एक आवासीय क्षेत्र था। इस क्षेत्र में एक घर में एक बूढ़ी औरत रहती थी। वह बहुत धार्मिक थीं। वह बहुत श्रद्धा से अपने घर में व्याघ्रेश्वरी माता की पूजा अर्चना करती थी। उस समय, मुस्लिम राजा महमूद गजनी ने इस क्षेत्र पर शासन किया। उसके शासन में हिंदू मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जा रहा था। इस डर के कारण बूढ़ी औरत ने अपने घर के पास एक कुए में व्याघ्रेश्वरी माता की मूर्ति को छिपा दिया। यह जानकर क्षेत्र के कंसारा जाति के लोग भी आए और कुए में अपनी इष्ट देवी कालिका माता की मूर्ति को छिपा दिया।


कई सालों के बाद, त्रागड सोनी लोगों ने व्याघ्रेश्वरी और कालिका माता की प्रतिमाओं को उस कुए से निकाल लिया और संवत् 1936 में एक मन्दिर बनाकर उनकी स्थापना की। मूर्तियों को कुए से निकालकर मंदिर में स्थापना नवरात्रि सप्तमी को की गई थी अतः यह दिन व्याघ्रेश्वरी माता कालिका माता के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। यह स्थान सोनी नई वाड़ी के नाम से जाना जाता है।
बाद में कई वर्षों के बाद कंसारा जाति (Kansara Caste) ने कालिका माता की उनकी मूर्ति वापस करने के लिए अनुरोध किया।लेकिन उन्हें अपनी मूर्ति वापस करने से इनकार कर दिया क्योंकि सोनी लोगों ने वाघेश्वरी माता और कालिकामाता दोनों को कुलदेवी के रूप में स्वीकार किया था। कंसारा समुदाय इसे स्वीकार करते हैं। अब कंसारा जाति भी इसी मंदिर में अपनी कालिका माता की पूजा करने आते हैं।



Tuesday, 4 July 2017

पितृ दोष के लक्षण और उपाय

ज्योतिष में सूर्य को पिता का कारक व मंगल को रक्त का कारक माना गया है। अतः जब जन्मकुंडली में सूर्य या मंगल, पाप प्रभाव में होते हैं तो पितृदोष का निर्माण होता है।
जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है, उसके लिए श्राद्ध पक्ष का समय विशेष होता है क्योंकि इन 16 दिनों में पितृ दोष निवारण उपाय करने से पितृ दोष से शीघ्र मुक्ति मिलना संभव है। जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यहां हम ऐसे कुछ लक्षण बता रहे है जो जातक की कुंडली में पितृ दोष होने की और इशार करते है –



पितृ दोष के लक्षण 
1. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है उनके यहां संतान होने में समस्याएं आती हैं। कई बार तो संतान पैदा ही नहीं होती और यदि संतान हो जाए तो उनमें से कुछ अधिक समय तक जीवित नहीं रहती।
2. पितृ दोष होने के कारण ऐसे लोगों को हमेशा धन की कमी रहती है। किसी न किसी रूप में धन की हानि होती रहती है।
3. जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उनकी शादी होने में कई प्रकार की समस्याएं आती हैं।
4. घर-परिवार में किसी न किसी कारण झगड़ा होता रहता है। परिवार के सदस्यों में मनमुटाव बना रहता है।
5. बार-बार व लंबें समय तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़े तो यह भी पितृ दोष के कारण हो सकता है।
6. पितृ दोष होने पर परिवार का एक न एक सदस्य बीमार रहता है। यह बीमारी भी जल्दी ठीक नहीं होती है।
7. पितृ दोष होने पर लड़की के विवाह में परेशानियां आती हैं। या तो विवाह में देरी होती है या मनचाहा वर नहीं मिल पाता है।
8. पितृ दोष होने पर राजकीय सेवा या नौकरी में अक्सर उन्हें अपने अधिकारियों के कोप का सामना करना पड़ता है।
9. पितृ दोष वाले जातक क्रोधी स्वभाव वाले होते हैं। इन्हें अक्सर मानसिक व्यथा का सामना करना पड़ता है।
10. पितृ दोष वाले जातक का अपने पिता से अच्छा तालमेल नहीं बैठ पाता।
11. जीवन में किसी आकस्मिक नुकसान या दुर्घटना के शिकार होते हैं।
12. इनके आत्मबल में कमी रहती है। स्वयं निर्णय लेने में परेशानी होती है। वस्तुतः लोगों से अधिक सलाह लेनी पड़ती है।
पितृ दोष निवारण के उपाय
श्राद्ध पक्ष में करने योग्य उपाय
1. अगर श्राद्ध करने वाले की साधारण आय हो तो वह पितरों के श्राद्ध में केवल एक ब्राह्मण को भोजन कराए या भोजन सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़, शक्कर, सब्जी और दक्षिणा दान करें। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
2. अगर कोई व्यक्ति गरीब हो और चाहने पर भी धन की कमी से पितरों का श्राद्ध करने में समर्थ न हो पाए तो वह किसी पवित्र नदी के जल में काले तिल डालकर तर्पण करे। इससे भी पितृ दोष में कमी आती है।
3. विद्वान ब्राह्मण को एक मुट्ठी काले तिल दान करने मात्र से भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।
4. अगर कोई व्यक्ति ऊपर बताए गए उपायों को करने में भी किसी कारणवश कठिनाई महसूस करे तो वह पितरों को याद कर गाय को चारा खिला दे। इससे भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।
5. इतना भी संभव न हो तो सूर्यदेव को हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि मैं श्राद्ध के लिए जरूरी धन और साधन न होने से पितरों का श्राद्ध करने में असमर्थ हूं। इसलिए आप मेरे पितरों तक मेरा भावनाओं और प्रेम से भरा प्रणाम पहुंचाएं और उन्हें तृप्त करें।

अन्य उपाय
6. कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा स्तुति करना चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
7. पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें।
8. शाम के समय में दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है।
9. प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है।
10. कुंडली में पितृदोष होने से किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी लाभ मिलता है।
11. पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्‍भागवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है।

स्वप्न फल - जानिए सपनों के फल

स्वप्न फल - जानिए सपनों के फल


स्वप्न ज्योतिष के अनुसार नींद में दिखाई देने वाले हर सपने का एक ख़ास संकेत होता है, एक ख़ास फल होता है। यहाँ हम आपको सपनो के स्वपन ज्योतिष के अनुसार संभावित फल बता रहे है।

         सपने                  फल
1- आंखों में काजल लगाना- शारीरिक कष्ट होना
2- स्वयं के कटे हाथ देखना- किसी निकट परिजन की मृत्यु
3- सूखा हुआ बगीचा देखना- कष्टों की प्राप्ति
4- मोटा बैल देखना- अनाज सस्ता होगा
5- पतला बैल देखना – अनाज महंगा होगा
6- भेडिय़ा देखना- दुश्मन से भय
7- राजनेता की मृत्यु देखना- देश में समस्या होना
8- पहाड़ हिलते हुए देखना- किसी बीमारी का प्रकोप होना
9- पूरी खाना- प्रसन्नता का समाचार मिलना
10- तांबा देखना- गुप्त रहस्य पता लगना
11- पलंग पर सोना- गौरव की प्राप्ति
12- थूक देखना- परेशानी में पडऩा
13- हरा-भरा जंगल देखना- प्रसन्नता मिलेगी
14- स्वयं को उड़ते हुए देखना- किसी मुसीबत से छुटकारा
15- छोटा जूता पहनना- किसी स्त्री से झगड़ा
16- स्त्री से मैथुन करना- धन की प्राप्ति
17- किसी से लड़ाई करना- प्रसन्नता प्राप्त होना
18- लड़ाई में मारे जाना- राज प्राप्ति के योग
19- चंद्रमा को टूटते हुए देखना- कोई समस्या आना
20- चंद्रग्रहण देखना- रोग होना
21- चींटी देखना- किसी समस्या में पढऩा
22- चक्की देखना- शत्रुओं से हानि
23- दांत टूटते हुए देखना- समस्याओं में वृद्धि
24- खुला दरवाजा देखना- किसी व्यक्ति से मित्रता होगी
25- बंद दरवाजा देखना- धन की हानि होना
26- खाई देखना- धन और प्रसिद्धि की प्राप्ति
27- धुआं देखना- व्यापार में हानि
28- भूकंप देखना- संतान को कष्ट
29- सुराही देखना- बुरी संगति से हानि
30- चश्मा लगाना- ज्ञान बढऩा
31- दीपक जलाना- नए अवसरों की प्राप्ति
32- आसमान में बिजली देखना- कार्य-व्यवसाय में स्थिरता
33- मांस देखना- आकस्मिक धन लाभ
34- विदाई समारोह देखना- धन-संपदा में वृद्धि
35- टूटा हुआ छप्पर देखना- गड़े धन की प्राप्ति के योग
36- पूजा-पाठ करते देखना- समस्याओं का अंत
37- शिशु को चलते देखना- रुके हुए धन की प्राप्ति
38- फल की गुठली देखना- शीघ्र धन लाभ के योग
39- दस्ताने दिखाई देना- अचानक धन लाभ
40- शेरों का जोड़ा देखना- दांपत्य जीवन में अनुकूलता
41- मैना देखना- उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति
42- सफेद कबूतर देखना- शत्रु से मित्रता होना
43- बिल्लियों को लड़ते देखना- मित्र से झगड़ा
44- सफेद बिल्ली देखना- धन की हानि
45- मधुमक्खी देखना- मित्रों से प्रेम बढऩा
46- खच्चर दिखाई देना- धन संबंधी समस्या
47- रोता हुआ सियार देखना- दुर्घटना की आशंका
48- समाधि देखना- सौभाग्य की प्राप्ति
49- गोबर दिखाई देना- पशुओं के व्यापार में लाभ
50- चूड़ी दिखाई देना- सौभाग्य में वृद्धि

51- दियासलाई जलाना- धन की प्राप्ति
52- सीना या आंख खुजाना- धन लाभ
53- सूखा जंगल देखना- परेशानी होना
54- मुर्दा देखना- बीमारी दूर होना
55- आभूषण देखना- कोई कार्य पूर्ण होना
56- जामुन खाना- कोई समस्या दूर होना
57- जुआ खेलना- व्यापार में लाभ
58- धन उधार देना- अत्यधिक धन की प्राप्ति
59- चंद्रमा देखना- सम्मान मिलना
60- चील देखना- शत्रुओं से हानि
61- स्वयं को दिवालिया घोषित करना- व्यवसाय चौपट होना
62- चिडिय़ा को रोते देखता- धन-संपत्ति नष्ट होना
63- चावल देखना- किसी से शत्रुता समाप्त होना
64- चांदी देखना- धन लाभ होना
65- दलदल देखना- चिंताएं बढऩा
66- कैंची देखना- घर में कलह होना
67- सुपारी देखना- रोग से मुक्ति
68- लाठी देखना- यश बढऩा
69- खाली बैलगाड़ी देखना- नुकसान होना
70- खेत में पके गेहूं देखना- धन लाभ होना
71- फल-फूल खाना- धन लाभ होना
72- सोना मिलना- धन हानि होना
73- शरीर का कोई अंग कटा हुआ देखना- किसी परिजन की मृत्यु के योग
74- कौआ देखना- किसी की मृत्यु का समाचार मिलना
75- धुआं देखना- व्यापार में हानि
76- चश्मा लगाना- ज्ञान में बढ़ोत्तरी
77- भूकंप देखना- संतान को कष्ट
78- रोटी खाना- धन लाभ और राजयोग
79- पेड़ से गिरता हुआ देखना- किसी रोग से मृत्यु होना
80- श्मशान में शराब पीना- शीघ्र मृत्यु होना
81- रुई देखना- निरोग होने के योग
82- कुत्ता देखना- पुराने मित्र से मिलन
83- सफेद फूल देखना- किसी समस्या से छुटकारा
84- उल्लू देखना- धन हानि होना
85- सफेद सांप काटना- धन प्राप्ति
86- लाल फूल देखना- भाग्य चमकना
87- नदी का पानी पीना- सरकार से लाभ
88- धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना- यश में वृद्धि व पदोन्नति
89- कोयला देखना- व्यर्थ विवाद में फंसना
90- जमीन पर बिस्तर लगाना- दीर्घायु और सुख में वृद्धि
91- घर बनाना- प्रसिद्धि मिलना
92- घोड़ा देखना- संकट दूर होना
93- घास का मैदान देखना- धन लाभ के योग
94- दीवार में कील ठोकना- किसी बुजुर्ग व्यक्ति से लाभ
95- दीवार देखना- सम्मान बढऩा
96- बाजार देखना- दरिद्रता दूर होना
97- मृत व्यक्ति को पुकारना- विपत्ति एवं दु:ख मिलना
98- मृत व्यक्ति से बात करना- मनचाही इच्छा पूरी होना
99- मोती देखना- पुत्री प्राप्ति
100- लोमड़ी देखना- किसी घनिष्ट व्यक्ति से धोखा मिलना
101- अनार देखना- धन प्राप्ति के योग
102- गड़ा धन दिखाना- अचानक धन लाभ
103- सूखा अन्न खाना- परेशानी बढऩा
104- अर्थी देखना- बीमारी से छुटकारा
105- झरना देखना- दु:खों का अंत होना
106- बिजली गिरना- संकट में फंसना
107- चादर देखना- बदनामी के योग
108- जलता हुआ दीया देखना- आयु में वृद्धि
109- धूप देखना- पदोन्नति और धनलाभ
110- रत्न देखना- व्यय एवं दु:ख
111- चेक लिखकर देना- विरासत में धन मिलना
112- कुएं में पानी देखना- धन लाभ
113- आकाश देखना – पुत्र प्राप्ति
114- अस्त्र-शस्त्र देखना- मुकद्में में हार
115- इंद्रधनुष देखना – उत्तम स्वास्थ्य
116- कब्रिस्तान देखना- समाज में प्रतिष्ठा
117- कमल का फूल देखना- रोग से छुटकारा
118- सुंदर स्त्री देखना- प्रेम में सफलता
119- चूड़ी देखना- सौभाग्य में वृद्धि
120- कुआं देखना- सम्मान बढऩा
121- गुरु दिखाई देना – सफलता मिलना
122- गोबर देखना- पशुओं के व्यापार में लाभ
123- देवी के दर्शन करना- रोग से मुक्ति
124- चाबुक दिखाई देना- झगड़ा होना
125- चुनरी दिखाई देना- सौभाग्य की प्राप्ति
126- छुरी दिखना- संकट से मुक्ति
127- बालक दिखाई देना- संतान की वृद्धि
128- बाढ़ देखना- व्यापार में हानि
129- जाल देखना- मुकद्में में हानि
130- जेब काटना- व्यापार में घाटा
131- चंदन देखना- शुभ समाचार मिलना
132- जटाधारी साधु देखना- अच्छे समय की शुरुआत
133- स्वयं की मां को देखना- सम्मान की प्राप्ति
134- फूलमाला दिखाई देना- निंदा होना
135- जुगनू देखना- बुरे समय की शुरुआत
136- टिड्डी दल देखना- व्यापार में हानि
137- डाकघर देखना – व्यापार में उन्नति
138- डॉक्टर को देखना- स्वास्थ्य संबंधी समस्या
139- ढोल दिखाई देना- किसी दुर्घटना की आशंका
140- सांप दिखाई देना- धन लाभ
141- तपस्वी दिखाई देना- दान करना
142- तर्पण करते हुए देखना- परिवार में किसी बुुजुर्ग की मृत्यु
143- डाकिया देखना – दूर के रिश्तेदार से मिलना
144- तमाचा मारना- शत्रु पर विजय
145- उत्सव मनाते हुए देखना- शोक होना
146- दवात दिखाई देना- धन आगमन
147- नक्शा देखना- किसी योजना में सफलता
148- नमक देखना- स्वास्थ्य में लाभ
149- कोर्ट-कचहरी देखना- विवाद में पडऩा
150- पगडंडी देखना- समस्याओं का निराकरण
151- त्रिशूल देखना- शत्रुओं से मुक्ति
152- तारामंडल देखना- सौभाग्य की वृद्धि
153- ताश देखना- समस्या में वृद्धि
154- तीर दिखाई देना- लक्ष्य की ओर बढऩा
155- सूखी घास देखना- जीवन में समस्या
156- भगवान शिव को देखना- विपत्तियों का नाश
157- किसी रिश्तेदार को देखना- उत्तम समय की शुरुआत
158- दंपत्ति को देखना- दांपत्य जीवन में अनुकूलता
159- शत्रु देखना- उत्तम धनलाभ
160- दूध देखना- आर्थिक उन्नति
161- मंदिर देखना- धार्मिक कार्य में सहयोग करना
162- नदी देखना- सौभाग्य वृद्धि
163- नाच-गाना देखना- अशुभ समाचार मिलने के योग
164- नीलगाय देखना- भौतिक सुखों की प्राप्ति
165- नेवला देखना- शत्रुभय से मुक्ति
166- पगड़ी देखना- मान-सम्मान में वृद्धि
167- पूजा होते हुए देखना- किसी योजना का लाभ मिलना
168- फकीर को देखना- अत्यधिक शुभ फल
169- गाय का बछड़ा देखना- कोई अच्छी घटना होना
170- वसंत ऋतु देखना- सौभाग्य में वृद्धि
171- बिल्वपत्र देखना- धन-धान्य में वृद्धि
172- स्वयं की बहन देखना- परिजनों में प्रेम बढऩा
173- भाई को देखना- नए मित्र बनना
174- भीख मांगना- धन हानि होना
175- शहद देखना- जीवन में अनुकूलता
176- स्वयं की मृत्यु देखना- भयंकर रोग से मुक्ति
177- रुद्राक्ष देखना- शुभ समाचार मिलना
178- पैसा दिखाई देना- धन लाभ
179- स्वर्ग देखना- भौतिक सुखों में वृद्धि
180- पत्नी को देखना- दांपत्य में प्रेम बढऩा
181- स्वस्तिक दिखाई देना- धन लाभ होना
182- हथकड़ी दिखाई देना- भविष्य में भारी संकट
183- मां सरस्वती के दर्शन- बुद्धि में वृद्धि
184- कबूतर दिखाई देना- रोग से छुटकारा
185- कोयल देखना- उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति
186- अजगर दिखाई देना- व्यापार में हानि
187- कौआ दिखाई देना- बुरी सूचना मिलना
188- छिपकली दिखाई देना- घर में चोरी होना
189- चिडिय़ा दिखाई देना- नौकरी में पदोन्नति
190- तोता दिखाई देना- सौभाग्य में वृद्धि
191- भोजन की थाली देखना- धनहानि के योग
192- इलाइची देखना – मान-सम्मान की प्राप्ति
193- खाली थाली देखना- धन प्राप्ति के योग
194- गुड़ खाते हुए देखना- अच्छा समय आने के संकेत
195- शेर दिखाई देना- शत्रुओं पर विजय
196- हाथी दिखाई देना- ऐेश्वर्य की प्राप्ति
197- कन्या को घर में आते देखना- मां लक्ष्मी की कृपा मिलना
198- सफेद बिल्ली देखना- धन की हानि
199- दूध देती भैंस देखना- उत्तम अन्न लाभ के योग
200- चोंच वाला पक्षी देखना- व्यवसाय में लाभ
201- अंगूठी पहनना- सुंदर स्त्री प्राप्त करना
202- आकाश में उडऩा- लंबी यात्रा करना
203- आकाश से गिरना- संकट में फंसना
204- आम खाना- धन प्राप्त होना
205- अनार का रस पीना- प्रचुर धन प्राप्त होना
206- ऊँट को देखना- धन लाभ
207- ऊँट की सवारी- रोगग्रस्त होना
208- सूर्य देखना- खास व्यक्ति से मुलाकात
209- आकाश में बादल देखना- जल्दी तरक्की होना
210- घोड़े पर चढऩा- व्यापार में उन्नति होना
211- घोड़े से गिरना- व्यापार में हानि होना
212- आंधी-तूफान देखना- यात्रा में कष्ट होना
213- दर्पण में चेहरा देखना- किसी स्त्री से प्रेम बढऩा
214- ऊँचाई से गिरना- परेशानी आना
215- बगीचा देखना- खुश होना
216- बारिश होते देखना- घर में अनाज की कमी
217- सिर के कटे बाल देखना- कर्ज से छुटकारा
218- बर्फ देखना- मौसमी बीमारी होना
219- बांसुरी बजाना- परेशान होना
220- स्वयं को बीमार देखना- जीवन में कष्ट
221- बाल बिखरे हुए देखना- धन की हानि
222- सुअर देखना- शत्रुता और स्वास्थ्य संबंधी समस्या
223- बिस्तर देखना- धनलाभ और दीर्घायु होना
224- बुलबुल देखना- विद्वान व्यक्ति से मुलाकात
225- भैंस देखना- किसी मुसीबत में फंसना
226- बादाम खाना- धन की प्राप्ति 
227- अंडे खाना- पुत्र प्राप्ति 
228- स्वयं के सफेद बाल देखना- आयु बढ़ेगी 
229- बिच्छू देखना- प्रतिष्ठा प्राप्त होगी 
230- पहाड़ पर चढऩा- उन्नति मिलेगी 
231- फूल देखना- प्रेमी से मिलन 
232- शरीर पर गंदगी लगाना- धन प्राप्ति के योग 
233- पिंजरा देखना- कैद होने के योग 
234- पुल पर चलना- समाज हित में कार्य करना 
235- प्यास लगना- लोभ बढऩा 
236- पान खाना- सुंदर स्त्री की प्राप्ति 
237- पानी में डूबना- अच्छा कार्य करना 
238- तलवार देखना- शत्रु पर विजय 
239- हरी सब्जी देखना- प्रसन्न होना 
240- तेल पीना- किसी भयंकर रोग की आशंका 
241- तिल खाना- दोष लगना 
242- तोप देखना- शत्रु नष्ट होना 
243- तीर चलाना- इच्छा पूर्ण होना 
244- तीतर देखना- सम्मान में वृद्धि 
245- स्वयं को हंसते हुए देखना- किसी से विवाद होना 
246- स्वयं को रोते हुए देखना- प्रसन्नता प्राप्त होना 
247- तरबूज खाते हुए देखना- किसी से दुश्मनी होगी 
248- तालाब में नहाना- शत्रु से हानि 
249- जहाज देखना- दूर की यात्रा होगी 
250- झंडा देखना- धर्म में आस्था बढ़ेगी 
251- धनवान व्यक्ति देखना- धन प्राप्ति के योग
252- सीना या आंख खुजाना- धन लाभ
253- सूखा जंगल देखना- परेशानी होना
254- मुर्दा देखना- बीमारी दूर होना
255- आभूषण देखना- कोई कार्य पूर्ण होना
256- जामुन खाना- कोई समस्या दूर होना
257- जुआ खेलना- व्यापार में लाभ
258- धन उधार देना- अत्यधिक धन की प्राप्ति
259- चंद्रमा देखना- सम्मान मिलना
260- चील देखना- शत्रुओं से हानि
261- स्वयं को दिवालिया घोषित करना- व्यवसाय चौपट होना
262- चिडिय़ा को रोते देखता- धन-संपत्ति नष्ट होना
263- चावल देखना- किसी से शत्रुता समाप्त होना
264- चांदी देखना- धन लाभ होना
265- दलदल देखना- चिंताएं बढऩा
266- कैंची देखना- घर में कलह होना
267- सुपारी देखना- रोग से मुक्ति
268- लाठी देखना- यश बढऩा
269- खाली बैलगाड़ी देखना- नुकसान होना
270- खेत में पके गेहूं देखना- धन लाभ होना
271- फल-फूल खाना- धन लाभ होना
272- सोना मिलना- धन हानि होना
273- शरीर का कोई अंग कटा हुआ देखना- किसी परिजन की मृत्यु के योग
274- कौआ देखना- किसी की मृत्यु का समाचार मिलना
275- धुआं देखना- व्यापार में हानि

लाल किताब के सिद्ध टोटके और उपाय

लाल किताब के सिद्ध टोटके और उपाय



1.  आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए :
यदि आप हमेशा आर्थिक समस्या से परेशान हैं तो इसके लिए आप 21 शुक्रवार 9 वर्ष से कम आयु की 5 कन्यायों को खीर व मिश्री का प्रसाद बांटें !

2.  घर और कार्यस्थल में धन वर्षा के लिए :
इसके लिए आप अपने घर, दुकान या शोरूम में एक अलंकारिक फव्वारा रखें ! या एक मछलीघर जिसमें 8 सुनहरी व एक काली मछ्ली हो रखें ! इसको उत्तर या उत्तरपूर्व की ओर रखें ! यदि कोई मछ्ली मर जाय तो उसको निकाल कर नई मछ्ली लाकर उसमें डाल दें !

3.  परेशानी से मुक्ति के लिए : आज कल हर आदमी किसी न किसी कारण से परेशान है ! कारण कोई भी हो आप एक तांबे के पात्र में जल भर कर उसमें थोडा सा लाल चंदन मिला दें ! उस पात्र को सिरहाने रख कर रात को सो जांय ! प्रातः उस जल को तुलसी के पौधे पर चढा दें ! धीरे-धीरे परेशानी दूर होगी !

4.  कुंवारी कन्या के विवाह हेतु : १.       यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयगी ! २.      प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी

5.  व्यापार बढाने के लिए :
१.       शुक्ल पक्ष में किसी भी दिन अपनी फैक्ट्री या दुकान के दरवाजे के दोनों तरफ बाहर की ओर थोडा सा गेहूं का आटा रख दें ! ध्यान रहे ऐसा करते हुए आपको कोई देखे नही !
२.      पूजा घर में अभिमंत्रित श्र्री यंत्र रखें !
३.      शुक्र्वार की रात को सवा किलो काले चने भिगो दें ! दूसरे दिन शनिवार को उन्हें सरसों के तेल में बना लें ! उसके तीन हिस्से कर लें ! उसमें से एक हिस्सा घोडे या भैंसे को खिला दें ! दूसरा हिस्सा कुष्ठ रोगी को दे दें और तीसरा हिस्सा अपने सिर से घडी की सूई से उल्टे तरफ तीन बार वार कर किसी चौराहे पर रख दें ! यह प्रयोग 40 दिन तक करें ! कारोबार में लाभ होगा !

6.   लगातार बुखार आने पर :
१.       यदि किसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रही हो तो आक की जड लेकर उसे किसी कपडे में कस कर बांध लें ! फिर उस कपडे को रोगी के कान से बांध दें ! बुखार उतर जायगा !
२.      इतवार या गुरूवार को चीनी, दूध, चावल और पेठा (कद्दू-पेठा, सब्जी बनाने वाला) अपनी इच्छा अनुसार लें और उसको रोगी के सिर पर से वार कर किसी भी धार्मिक स्थान पर, जहां पर लंगर बनता हो, दान कर दें !
३.      यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन एक नारियल पानी पिलायें ! कुछ ही दिनों में आराम हो जायगा !

7.   नौकरी जाने का खतरा हो या ट्रांसफर रूकवाने के लिए :
पांच ग्राम डली वाला सुरमा लें ! उसे किसी वीरान जगह पर गाड दें ! ख्याल रहे कि जिस औजार से आपने जमीन खोदी है उस औजार को वापिस न लायें ! उसे वहीं फेंक दें दूसरी बात जो ध्यान रखने वाली है वो यह है कि सुरमा डली वाला हो और एक ही डली लगभग 5 ग्राम की हो ! एक से ज्यादा डलियां नहीं होनी चाहिए !

8.  कारोबार में नुकसान हो रहा हो या कार्यक्षेत्र में झगडा हो रहा हो तो :
यदि उपरोक्त स्थिति का सामना हो तो आप अपने वज़न के बराबर कच्चा कोयला लेकर जल प्रवाह कर दें ! अवश्य लाभ होगा !

9.  मुकदमें में विजय पाने के लिए :
यदि आपका किसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसमें विजय पाना चाहते हैं तो थोडे से चावल लेकर कोर्ट/कचहरी में जांय और उन चावलों को कचहरी में कहीं पर फेंक दें ! जिस कमरे में आपका मुकदमा चल रहा हो उसके बाहर फेंकें तो ज्यादा अच्छा है ! परंतु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोर्ट में फेंकते समय कोई देखे नहीं वरना लाभ नहीं होगा ! यह उपाय आपको बिना किसी को पता लगे करना होगा !

10.  धन के ठहराव के लिए :
आप जो भी धन मेहनत से कमाते हैं उससे ज्यादा खर्च हो रहा हो अर्थात घर में धन का ठहराव न हो तो ध्यान रखें को आपके घर में कोई नल लीक न करता हो ! अर्थात पानी टप–टप टपकता न हो ! और आग पर रखा दूध या चाय उबलनी नहीं चाहिये ! वरना आमदनी से ज्यादा खर्च होने की सम्भावना रह्ती है !

11.  मानसिक परेशानी दूर करने के लिए :
रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चालीसा का पाठ करें ! प्रत्येक शनिवार को शनि को तेल चढायें ! अपनी पहनी हुई एक जोडी चप्पल किसी गरीब को एक बार दान करें !

12.  बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए :
१.       एक काला रेशमी डोरा लें ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करते हुए उस डोरे में थोडी थोडी दूरी पर सात गांठें लगायें ! उस डोरे को बच्चे के गले या कमर में बांध दें !
२.      प्रत्येक मंगलवार को बच्चे के सिर पर से कच्चा दूध 11 बार वार कर किसी जंगली कुत्ते को शाम के समय पिला दें ! बच्चा दीर्घायु होगा !

13.  किसी रोग से ग्रसित होने पर :
सोते समय अपना सिरहाना पूर्व की ओर रखें ! अपने सोने के कमरे में एक कटोरी में सेंधा नमक के कुछ टुकडे रखें ! सेहत ठीक रहेगी !

14.   प्रेम विवाह में सफल होने के लिए :
यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो :
शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें ! इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें ! तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें !

15.  नौकर न टिके या परेशान करे तो :
हर मंगलवार को बदाना (मीठी बूंदी) का प्रशाद लेकर मंदिर में चढा कर लडकियों में बांट दें ! ऐसा आप चार मंगलवार करें !

16.  बनता काम बिगडता हो, लाभ न हो रहा हो या कोई भी परेशानी हो तो :
हर मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में बदाना (मीठी बूंदी) चढा कर उसी प्रशाद को मंदिर के बाहर गरीबों में बांट दें !

17.  यदि आपको सही नौकरी मिलने में दिक्कत आ रही हो तो :
१.       कुएं में दूध डालें! उस कुएं में पानी होना चहिए !
२.      काला कम्बल किसी गरीब को दान दें !
३.      6 मुखी रूद्राक्ष की माला 108 मनकों वाली माला धारण करें जिसमें हर मनके के बाद चांदी के टुकडे पिरोये हों !

18.  अगर आपका प्रमोशन नहीं हो रहा तो :
१.       गुरूवार को किसी मंदिर में पीली वस्तुये जैसे खाद्य पदार्थ, फल, कपडे इत्यादि का दान करें !
२.      हर सुबह नंगे पैर घास पर चलें !

19.  पति को वश में करने के लिए :
यह प्रयोग शुक्ल  पक्ष में करना चाहिए ! एक पान का पत्ता लें ! उस पर चंदन और केसर का पाऊडर मिला कर रखें ! फिर दुर्गा माता जी की फोटो के सामने बैठ कर दुर्गा स्तुति में से चँडी स्त्रोत का पाठ 43 दिन तक करें ! पाठ करने के बाद चंदन और केसर जो पान के पत्ते पर रखा था, का तिलक अपने माथे पर लगायें ! और फिर तिलक लगा कर पति के सामने जांय ! यदि पति वहां पर न हों तो उनकी फोटो के सामने जांय ! पान का पता रोज़ नया लें जो कि साबुत हो कहीं से कटा फटा न हो ! रोज़ प्रयोग किए गए पान के पत्ते को अलग किसी स्थान पर रखें ! 43 दिन के बाद उन पान के पत्तों को जल प्रवाह कर दें ! शीघ्र समस्या का समाधान होगा !

20.  यदि आपको धन की परेशानी है, नौकरी मे दिक्कत आ रही है, प्रमोशन नहीं हो रहा है या आप अच्छे करियर की तलाश में है तो यह उपाय कीजिए :
किसी दुकान में जाकर किसी भी शुक्रवार को कोई भी एक स्टील का ताला खरीद लीजिए ! लेकिन ताला खरीदते वक्त न तो उस ताले को आप खुद खोलें और न ही दुकानदार को खोलने दें ताले को जांचने के लिए भी न खोलें ! उसी तरह से डिब्बी में बन्द का बन्द ताला दुकान से खरीद लें ! इस ताले को आप शुक्रवार की रात अपने सोने के कमरे में रख दें ! शनिवार सुबह उठकर नहा-धो कर ताले को बिना खोले किसी मन्दिर, गुरुद्वारे या किसी भी धार्मिक स्थान पर रख दें ! जब भी कोई उस ताले को खोलेगा आपकी किस्मत का ताला खुल जायगा !

21. यदि आप अपना मकान, दुकान या कोई अन्य प्रापर्टी बेचना चाहते हैं और वो बिक न रही हो तो यह उपाय करें :
बाजार से 86 (छियासी) साबुत बादाम (छिलके सहित) ले आईए ! सुबह नहा-धो कर, बिना कुछ खाये, दो बादाम लेकर मन्दिर जाईए ! दोनो बादाम मन्दिर में शिव-लिंग या शिव जी के आगे रख दीजिए ! हाथ जोड कर भगवान से प्रापर्टी को बेचने की प्रार्थना कीजिए और उन दो बादामों में से एक बादाम वापिस ले आईए ! उस बादाम को लाकर घर में कहीं अलग रख दीजिए ! ऐसा आपको 43 दिन तक लगातार करना है ! रोज़ दो बादाम लेजाकर एक वापिस लाना है ! 43 दिन के बाद जो बादाम आपने घर में इकट्ठा किए हैं उन्हें जल-प्रवाह (बहते जल, नदी आदि में) कर दें ! आपका मनोरथ अवश्य पूरा होगा ! यदि 43 दिन से पहले ही आपका सौदा हो जाय तो भी उपाय को अधूरा नही छोडना चाहिए ! पूरा उपाय करके 43 बादाम जल-प्रवाह करने चाहिए ! अन्यथा कार्य में रूकावट आ सकती है !

22. यदि आप ब्लड प्रेशर या डिप्रेशन से परेशान हैं तो :
इतवार की रात को सोते समय अपने सिरहाने की तरफ 325 ग्राम दूध रख कर सोंए ! सोमवार को सुबह उठ कर सबसे पहले इस दूध को किसी कीकर या पीपल के पेड को अर्पित कर दें ! यह उपाय 5 इतवार तक लगातार करें ! लाभ होगा !

23. माईग्रेन या आधा सीसी का दर्द का उपाय :
सुबह सूरज उगने के समय एक गुड का डला लेकर किसी चौराहे पर जाकर दक्षिण की ओर मुंह करके खडे हो जांय ! गुड को अपने दांतों से दो हिस्सों में काट दीजिए ! गुड के दोनो हिस्सों को वहीं चौराहे पर फेंक दें और वापिस आ जांय ! यह उपाय किसी भी मंगलवार से शुरू करें तथा 5 मंगलवार लगातार करें ! लेकिन….लेकिन ध्यान रहे यह उपाय करते समय आप किसी से भी बात न करें और न ही कोई आपको पुकारे न ही आप से कोई बात करे ! अवश्य लाभ होगा !

24. फंसा हुआ धन वापिस लेने के लिए :
यदि आपकी रकम कहीं फंस गई है और पैसे वापिस नहीं मिल रहे तो आप रोज़ सुबह नहाने के पश्चात सूरज को जल अर्पण करें ! उस जल में 11 बीज लाल मिर्च के डाल दें तथा सूर्य भगवान से पैसे वापिसी की प्रार्थना करें ! इसके साथ ही “ओम आदित्याय नमः “ का जाप करें !

नोट :
1. लाल किताब के सभी उपाय दिन में ही करने चाहिए ! अर्थात सूरज उगने के बाद व सूरज डूबने से पहले !
2. सच्चाई व शुद्ध भोजन पर विशेष ध्यान देना चाहिए !
3. किसी भी उपाय के बीच मांस, मदिरा, झूठे वचन, परस्त्री गमन की विशेष मनाही है !
4. सभी उपाय पूरे विश्वास व श्रद्धा से करें, लाभ अवश्य होगा !
5. एक दिन में एक ही उपाय करना चाहिए ! यदि एक से ज्यादा उपाय करने हों तो छोटा उपाय पहले करें !    एक उपाय के दौरान दूसरे उपाय का कोई सामान भी घर में न रखें !
6. जो भी उपाय शुरू करें तो उसे पूरा अवश्य करें ! अधूरा न छोडें !

लाल किताब का इतिहास 
कहा जाता है कि लंकाधिपति रावण ने सूर्य के सारथी अरुण से यह विद्या प्राप्त की थी। रावण की दुनिया समाप्त होने के बाद यह ग्रंथ किसी प्रकार ‘आद’ नामक स्थान पर पहुंच गया, जहां इसका अनुवाद अरबी और फारसी भाषा में किया गया। आज भी यह मान्यता है कि यह पुस्तक फारसी भाषा में उपलब्ध है। यह ग्रंथ आजकल पाकिस्तान के पुस्तकालय में सुरक्षित है और उर्दू भाषा में है। परन्तु इस अरुण संहिता या लाल किताब का कुछ अंश गायब है। एक मान्यता के अनुसार एक बार लाहौर में जमीन खोदने का कार्य चल रहा था, उसमें से तांबे की पट्टिकाएं मिलीं जिनपर उर्दू एवं अरबी भाषा में लाल किताब लिखी मिली। सन 1936 में अरबी भाषा में लाहौर में प्रकाशित की गई और यह प्रसिद्ध हो गई।
भारत में पंजाब प्रांत के ग्राम फरवाला (जिला जालंधर) के निवासी पंडित रूप चंद जोशी जी ने 1939 से 1952 के बीच में इसके पाँच खण्डों की रचना की।
1. लाल किताब के फरमान — सन 1939 में प्रकाशित
2. लाल किताब के अरमान — सन 1940 में प्रकाशित
3. लाल किताब (गुटका) — सन 1941 में प्रकाशित
4. लाल किताब — सन 1942 में प्रकाशित
5 लाल किताब — सन 1952 में प्रकाशित
हर भाग अपने आप में संपूर्ण है। इस किताब के कई रूपांतर हिन्दी में उपलब्ध हैं जो कि मूलत: लाल किताब 1952 का रुपांतर हैं। चंडीगढ़ (पंजाब) में अरुण प्रकाशन नें सभी किताबों का हिन्दी में रुपांतर किया तथा इसे अरुण संहिता लाल किताब के नाम से प्रकाशन किया।


लाल किताब की विशेषताएं :
‘लाल किताब’ ज्योतिर्विद्या की एक स्वतन्त्र और मौलिक सिद्धान्तों पर आधारित एक अनोखी पुस्तक है। इसकी कुछ अपनी निजी विशेषताएँ हैं, जो अन्य सैद्धान्तिक अथवा प्रायोगिक फलित ज्योतिष-ग्रन्थों से हटकर हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जातक को ‘टोटकों’ का सहारा लेने का संदेश देना है। ये टोटके इतने सरल हैं कि कोई भी जातक इनका सुविधापूर्वक सहारा लेकर अपना कल्याण कर सकता है। काला कुत्ता पालना, कौओं को खिलाना, क्वाँरी कन्याओं से आशीर्वाद लेना, किसी वृक्ष विशेष को जलार्पण करना, कुछ अन्न या सिक्के पानी में बहाना, चोटी रखना, सिर ढँक कर रखना इत्यादि। ऐसे कुछ टोटकों के नमूने हैं, जिनके अवलम्बन से जातक ग्रहों के अनिष्टकारी प्रभावों से अनायास की बचा जाता है। कीमती ग्रह रत्नों (मूंगा, मोती, पुखराज, नीलम, हीरा आदि। में हजारों रुपयों का खर्च करने के बजाय जातक इन टोटकों के सहारे बिना किसी खर्च के (मुफ्त में) या अत्यल्प खर्च द्वारा ग्रहों के दुष्प्रभावों से अपनी रक्षा कर सकता है।
‘लाल किताब’ में धर्माचरण और सदाचरण के बल पर ग्रह दोष निवारण का झण्डा ऊँचा किया है, जिससे हमारा इहलोक तो बनेगा ही, परलोक भी बनेगा।  ‘लाल किताब’ में विभिन्न प्रकार के ग्रह दोषों से बचाव के लिए सैकड़ों टोटकों का विधान है। जीवन का कोई ऐसा पक्ष नहीं है, जिससे संबंधित टोटके न बतलाये गये हों।
यह ज्योतिष के सिधान्तो और हस्तरेखा के सिधान्तो को सरल रूप से समझाता है।
1. इस ग्रन्थ में मानव मस्तिष्क के 42 प्रभागों को जन्म कुंडली के विभिन्न घरों से संबंधित कर दिया गया है। हस्तरेखा के सिधान्तो और व्यक्ति की जन्म कुंडली में विभिन्न ग्रहों की स्थिति से व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओ का बताया जा सकता है।
2. लाल किताब में कष्ट निवारण के लिए कुछ सरल उपाय बताये गए है, जो की मुसीबत में फसे व्यक्ति के लिए वरदान स्वरुप है।
3. उपाय के तौर पर महंगे यज्ञ और हवन आदि महेंगी रस्मो की आवश्यकता नही है।
4. लाल किताब कुछ सरल उपायों की मदद से जटिल समस्याओ का हल बता सकती है।
5. यन्त्र मंत्र और तंत्र से ये उपाय बहुत अलग है।
6.लाल किताब में सुझाये उपाय बहुत ही सरल और सुरक्षित है। ये किसी भी तरह से किसीको हानि नही पहुचाते और पुरी तरह से ग्रहों के कस्त्दायक प्रभाव को नियंत्रित करते है।

Monday, 3 July 2017

वास्तु दोष निवारण के उपाय

वास्तु दोष निवारण के उपाय


वास्तु दोष और उपाय  में हम आपको कुछ ऐसे अनुभवी वास्तु दोष निवारण के उपाय बताएँगे जिसके इस्तमाल से आप अपने घर में माँ लक्ष्मी का वास और आपके घर में खुश हाली पायेंगे|
इस दिए हुए उपाय की वजह से आपको वास्तु दोष निवारक यंत्र की भी जरुरत नहीं पड़ेगी |
अगर आपने घर वास्तुशास्त्र के लिए ऊपर नहीं बनाया हो तो इससे आपको बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आप भी इस परेशानियों का सामना कर रहे हो तो नीचे दिए गए वास्तु दोष निवारण के उपाय कीजिए। इससे आपके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहेगी।
  • दरवाजा खोलते तथा बंद करते समय सावधानी बरती की कर्कश आवाज ना हो। इससे घर में कलह होता है। इससे बचने के लिए दरवाजे पर स्टॉप पर लगाएं।
  • रोटी बनाते समय पहली रोटी अग्निदेव को अर्पित करें या गाय को खिलाएं धनागमन के स्त्रोत बढ़ेंगे।
  • कहीं जाने के लिए घर से रात्रि या दिन के ठीक 12:00 बजे ना निकले।
  • भोजन यथासंभव अग्नि कोण में पूर्व की ओर मुंह कर पकाना और पूर्व की ओर मुंह करके खाना चाहिए।
  • पूजाघर पूर्वोत्तर में होना चाहिए तथा पूजा यथासंभव सुबह 6:00 से 8:00 के बीच भूमि पर ऊनी आसन पर पूर्वोत्तर की ओर मुंह कर बैठक कर ही करनी चाहिए।
  • ईशान कोण में सदैव जल का एक कलश भरकर रखना चाहिए इससे घर में संपन्नता आती है मकान के पूर्वोत्तर कोने को हमेशा खाली रखना चाहिए।
  • घर में कहीं भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। उसे पैर नहीं लगाना चाहिए, ना ही लांघा जाना चाहिए।  अन्यथा घर में बरकत और धन आगमन के स्त्रोतों में वृद्धि नहीं होती।
  • घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले नहीं होनी चाहिए ऐसे दरवाजे अज्ञात भय पैदा करते हैं।
  • खिड़कियां खोल कर रखें ताकि घर में रोशनी आती रहे।
  • किसी महत्वपूर्ण काम के लिए दही खाकर या मछली का दर्शन कर घर से निकले।
  • घर के चारों ओर गंगा जल छिड़के। इससे घर पवित्र होता है।
  • घर में मकड़ी का जाल नहीं लगने दे अन्यथा धन की हानि होती है।
  • घर में या घर के बाहर नाली में पानी जमा नहीं रहने दे।
ऊपर दिए गए वास्तु के उपाय करने से आप निश्चित ही वास्तुदोष से छुटकारा पा सकते हैं।

वास्तु दोष निवारण यंत्र :

वास्तु दोष निवारण यंत्र